जिन्दगी के रंग - एक सबसे ख़ास दोस्ती की कहानी
एक गर्मी की छुट्टियों के दिनों में एक छोटे से गाँव में रहने वाले लड़के का नाम था आदित्य। वह लड़का नौजवान था और बहुत खुशनुमा व्यक्तित्व रखता था। उसकी मुस्कान को देखकर सभी लोग उसके दिल की खिड़कियों को खोल देते थे।
एक दिन, छुट्टियों के दिनों में, उसके गाँव में एक नई पड़ोसन आई। उसका नाम था निशा। वह भी उसी उम्र की थी और आदित्य के जैसे ही खुशनुमा व्यक्तित्व रखती थी। आदित्य और निशा जल्दी ही दोस्त बन गए।
वे दोनों साथ-साथ घूमने लगे, खेलने लगे, सब कुछ मिलकर करने लगे। उनकी दोस्ती का रंग गाँव के अन्य बच्चों तक भी पहुँच गया। उन्हें देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे कि कैसे दो अजनबी इतनी अच्छी तरह समझदारी से साथी बन गए हैं।
जब आदित्य और निशा दोस्त बन गए, तो उनकी ज़िंदगी में नई रौनक आ गई। वे हमेशा साथ मिलकर हंसते और खेलते रहते। जब वे सभी के सामने होते, तो उनके चेहरे पर एक ख़ास नूर दिखाई देता था, जो सभी के दिल को छू जाता था।
समय बीतता गया और आदित्य और निशा बड़े हो गए। लेकिन उनकी दोस्ती बढ़ती गई। वे दोनों एक-दूसरे के साथ बड़ी ख़ुशियों और दुखों का सामना करते गए। जीवन में बहुत सारे परिवर्तन आए, लेकिन उनकी दोस्ती हमेशा अटूट बनी रही।
वे दोनों एक-दूसरे के साथ हर रास्ते पर साथ चलते, हर मुश्किल में एक-दूसरे का साथ देते और हर ख़ुशी में साथ मिलकर मनाते। उनकी दोस्ती के बारे में गाँव के लोग गाते और कहते कि यह वे दोस्ती है, जिसकी मिसाल सबके दिलों में बसी रहेगी।
इस कहानी का शीर्षक: "जिन्दगी के रंग - एक सबसे ख़ास दोस्ती की कहानी"
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