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कलम की आज़ादी

 कलम की आज़ादी


नमस्कार, मित्रों! मेरा नाम धुरखेली है और मैं बलिया जिले का रहने वाला हूँ। बहुत सारे व्यक्तियों की तरह, मेरी भी एक सपना था अपनी कलम से समाज में जगह बनाने का। मैं छोटे से वर्ग के लोगों की समस्याओं के बारे में लिखता था, जिन्हें देखकर बड़े वर्ग के लोगों की आंखों में आंसू आ जाते थे, लेकिन उन्हें सुनने का कोई मन नहीं करता था।


मेरी कलम ने मुझे बहुत सारे प्रशंसकों की मिली, जिन्होंने मुझे इंसानियत के मूल मूल्यों को समझाया और इन्सानों की असली मुसीबतों को समझने के लिए प्रेरित किया। मेरी लिखावट ने उन्हें ज़िन्दगी की समझ और ज्ञान से संबंधित नई दृष्टिकोण दिया। ऐसा होता रहा, जब तक एक दिन एक विशेष समाचार पत्रिका ने मेरे लेखों को प्रकाशित करने के लिए मुझसे संपर्क किया। यह असली संघर्ष की शुरुआत थी मेरे लिए।


पहले दिन मैं दर्जनों लिखे गए लेखों को देखकर हार ही गया था, लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझे सच्चे में बताया कि असफलता सिर्फ एक नया आगाज है। मैं अगले कुछ दिनों में बिना रुके लिखना जारी रखा। मेरे लेखों को समाचार पत्रिका ने स्वागत किया और वहां से आगे की ज़िंदगी में मेरी कलम की आज़ादी की यात्रा शुरु हो गई।


ज़मीन और आकाश तक की यात्रा आसान नहीं थी, लेकिन मेरे प्रत्याशा और मेहनती काम के दम पर मैं एक प्रसिद्ध ब्लॉगर बन गया। मेरे लेख आंखों में आंसू लाते हुए लोगों के दिलों को छु गए। मैं अब उन्हें न सिर्फ समस्याओं का सामना करने में मदद करता हूँ, बल्कि उनके समाज में उनके अधिकारों को लेकर भी जागरूकता फैलाता हूँ।


बलिया जिले के छोटे से गाँव से निकलकर मैं आज एक अच्छे ब्लॉगर के रूप में जाना जाता हूँ, और इसे सिर्फ और सिर्फ मेरी कलम की आज़ादी के कारण है। मैं लोगों को यह सिखाना चाहता हूँ कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें हार नहीं मानना चाहिए। संघर्ष और मेहनत के साथ सफलता के मोर्चे पर चढ़ना ही असली आज़ादी है।


मैं धुरखेली, बलिया जिले के एक छोटे से गाँव से एक बड़े ब्लॉगर के रूप में आज यहाँ पर स्थान बना पाया हूँ। मेरे सपनों को पूरा करने में मेरे माता-पिता, साथियों और मेरे पाठकों का साथ रहा है। मेरी आज़ादी की यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है, जिन्होंने मेरे सपनों को एक असली यशगाथा में बदल दिया।


आज, मेरी कलम बलिया जिले के हर वर्ग के लोगों के दिल में बसी हुई है, और मैं सबके साथ मिलकर इन्हें रोशनी का सफर बनाने के लिए तत्पर हूँ। जिन्हें समाज में अलगाववाद और अन्याय का सामना करना पड़ता है, मैं उन्हें अपने लेखों से साहस, समर्थन और नई ऊंचाइयों की दिशा में प्रेरित करता हूँ।


आज अपनी आज़ादी के बारे में लिखते हुए मैं खुश हूँ कि मेरे लेख अपनी पहचान बना चुके हैं। मेरे पाठक मेरे साथ हैं, और मैं उनके साथ हूँ। यह समरसता मुझे अगले कदम बढ़ने की हिम्मत देती है। धन्यवाद, सभी को जिन्होंने मेरी कलम की आज़ादी की यात्रा को साथ दिया।


जय हिंद

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